बूंदी-5550 वर्ग किलोमीटर जवाहर बुर्ज’ व ‘फ़तेह दुर्ग’ लौहगढ़ दुर्ग में स्थितहै बयाना को ‘बाणासुर की नगरी’ कहा जाता है केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान ‘पक्षियों का स्वर्ग’ कहा जाता है बयाना दुर्ग के अन्य नाम- बाणासुर का किला, विजयगढ़ दुर्ग, बादशाह दुर्ग, श्रीपंथ दुर्ग, श्रीपुर दुर्ग प्रचीन समय में डीग को दीर्घपुर नाम से जाना जाता था
बांसवाडा-5037 वर्ग किलोमीटर
करौली- 5530 वर्ग किलोमीटर
लौहगढ़ दुर्ग को चारो ओर मिट्टी के परकोटे व खाई के कारण ‘अभेद्य दुर्ग’ कहा जाता है
बयाना दुर्ग के अन्य नाम- बाणासुर का किला, विजयगढ़ दुर्ग, बादशाह दुर्ग, श्रीपंथ दुर्ग, श्रीपुर दुर्ग
त्रिभुवनगढ़ दुर्ग का निर्माण बयाना में त्रिभुवनपाल ने करवाया था।
पाणिनी ने बयाना को श्रीप्रस्थ कहा है
पुराणों के अनुसार बयाना नगर को शोणितपुर नाम से जाना जाता था
प्रचीन समय में बयाना को श्रीपंथ/भादानक नाम से जाना जाता था
डीग को ‘जलमहलो के नगरी’ कहा जाता है
रूपवास स्थान ‘मृगया महल’ के लिए प्रसिद्ध है
कुम्हेर प्राचीन समय में भरतपुर की राजधानी थी
केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान में इंचा/एंचा घास पाई जाती है
केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान ‘रामसर साईट’ भी है
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान लगभग 29 Km2 क्षेत्र में फैला हुआ है
त्रिभुवनगढ़ दुर्ग – इसका निर्माण बयाना में त्रिभुवनपाल ने करवाया था
डीग का किला -इस किले का निर्माण महाराजा बदन सिंह ने 1730 में करवाया था।
डीग को ‘जलमहलों की नगरी’ भी कहा जाता
वैर- को ‘भरतपुर की लघुकाशी’ कहा जाता है
बयाना को ‘बाणासुर की नगरी’ कहा जाता है
सुर्खाब-बूंदी
मगरमच्छ -बारां
जल पीपी – बांसवाडा